Part-8/
प्रधानमंत्री जी – वाह, चलिए आपके शब्दों में भी विश्वास है, वो देश की भावना का प्रतिबिम्ब है, मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं।
आइए हम पूरब की तरफ चलते हैं, आसाम की तरफ चलते हैं। आसाम के कचार जिले कि ग्राम पंचायत छोटा-दूधपाटिल, यहां के प्रधान श्रीमान रंजीत सरकार जी हमारे साथ हैं। रंजीत जी नमस्कार।
रंजीत जी – नमस्कार सर। सर,...
more... सबसे पहले मैं लॉकडाउन घोषित करने के आपके असम राज्य से सब साथ मैं अपना पक्ष रखता हूं1
प्रधानमंत्री जी - चलिए बहुत हो गया, आसाम के लोग नाराज हो गए होंगे। क्योंकि मैंने उनका बिहू इतना बड़ा आनंद उत्सव और मोदीजी ने लॉकडाउन कर दिया। इस बार तो कोरोना के कारण बिहू भी लोग सीमित स्तर ही मना पाए। कोरोना के खिलाफ देश की इस लड़ाई में असम के लोगों का ये संयम बहुत प्रशंसनीय है। असम में तो मैं देख रहा हूं कि हमारे गांव की बहनें, गमछे से मास्क बनाने में जुटी हुई हैं। जो स्वास्थ्य कर्मी चेक करने के लिए आ रहे हैं, उनको मदद देने के लिए आपकी पंचायत क्या काम कर रही है?
रंजीत सरकार – लॉकडाउन, आप जो काम किया है सर, वो अच्छा काम किया है। देश की रक्षा करने के लिए काम किया है सर।पीएम सर, हमारी पंचायत की ये कोशिश है कि अपने गांव को कोरोना से बिल्कुल सुरक्षित रखा जाए। बाहर से आने वालों पर नजर रखी जा रही है। यहां आशा कार्यकर्ता और दूसरे मेडिकल से जुड़े लोग सर्वे पर आते हैं। मेडिकल के इन साथियों को घर-घर तक पहुंचाने में और ज़रूरी जानकारी जुटाने में हमारी पंचायत की टीम से पूरी मदद की जा रही है। आपने डॉक्टरों और दूसरे हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए जो नया कानून बनाया है, उसके लिए पूरी पंचायत की तरफ से मैं आपको आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इसकी बहुत ज्यादा ज़रूरत थी। हमारी पंचायत उन लोगों की भी मदद कर रही है जिनके पास इस समय काम नहीं है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से जो भी मदद दी जा रही है, उसको तेज़ी से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री जी: रंजीत जी, आपने बहुत उत्तम तरीके से बात बताई। मैं आपको बधाई देता हूं और सभी आसामवासियों को भी मेरी तरफ से बधाई। बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।
ये बहुत अच्छी बात है रंजीत जी।
आपको और आपकी टीम को अभी बहुत काम करना है। जहां तक आपने हेल्थ वर्कर की प्रोटेक्शन को लेकर नए कानून की बात की तो, मैं चाहूंगा कि इस कानून के उपयोग की ज़रूरत ही ना पड़े।
हमें अपने कोरोना योद्धाओं को काम करने देना है, उनको सम्मान देना है, क्योंकि वो अपने लिए नहीं हमारे लिए मैदान में हैं।
साथियों,आपके साथ ये जो सार्थक बातचीत से न सिर्फ मुझे, लेकिन देश के जो भी नागरिक आज आपको सुन रहे हैं, सभी देशवासियों को संतोष हुआ होगा। उनके अंदर एक नया विश्वास पैदा हुआ होगा कि दूर-सुदूर गांव में हमारे लेागों ने कैसे देश को संभाला हुआ है। देश के उज्ज्लव भविष्य के लिए कैसे बढ़िया काम कर रहे हैं। और शायद समय ज्यादा होता और मैं सबको सुन पातात्र कितना आनंद आता, कितनी नई-नई चीजें मिलतीं। लेकिन मैं जब लाखों की तादाद में पंच-सरपंच मेरे सामने हैं, इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़े हैं। भले ही मैं आप सबको सुन नहीं पाया हूं, लेकिन जिन कुछ प्रधानों ने अपने अनुभव बताए, उसमें एक प्रकार से आपकी भावनाएं प्रकट हुई हैं। लेकिन उसके बावजूद भी आपने कोई ऐसे विशेष प्रयास किए हों, प्रयोग किए हों, अपने गांव को बचाया हो; अगर मुझे लिख करके भेजेंगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।
आप सभी इस मुश्किल परिस्थिति में भी गांवों में जीवन को सुरक्षित और आसान बनाने में नेतृत्व कर रहे हैं, जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हम सबने सुना है, बचपन से सुनते आए हैं। महात्मा गांधी एक बात बार-बार करते थे, महात्मा गांधी कहा करते थे कि – ‘’मेरे स्वराज की कल्पना का आधार ग्राम स्वराज ही है”।
इसलिए, ग्राम पचायतें हमारे लोकतंत्र की एकजुट शक्ति का केंद्र हैं। हमारी लोकतान्त्रिक एकजुटता का यही सबसे बड़ा ताकतवर केंद्र हैं। और हमारे यहाँ तो शास्त्रों में कहा गया है- ''संघमूलम् महाबलम्”। अर्थात् बड़ी से बड़ी शक्ति का केंद्र, संगठन या एकजुटता में ही होता है।
और इसलिए आज की परिस्थिति में देश को आगे ले जाने की शुरुआत, देश को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत, गाँव की सामूहिक शक्ति से ही होगी, आप सबकी एकजुटता से ही संभव होगी।
इन प्रयासों के बीच हमें ये याद रखना है कि किसी एक की भी लापरवाही पूरे गांव को खतरे में डाल सकती है। इसलिए ढील की ज़रा भी गुंजाइश नहीं है।
गाँव में sanitization अभियान हो, शहरों से आने वाले लोगों के लिए इतने कम समय में quarantine centersबनाने का काम हो, हर एक व्यक्ति के खान-पान और जरूरतों की चिंता हो, या फिर आम लोगों को जागरूक करने का काम हो; ये काम हमें निरंतर बिना रुके, बिना थके करना है।
और जैसे इकबाल जी ने अभी बताया, जम्मू-कश्मीर के अपने साथी ने respect भी करो suspect भी करो। मैं समझता हूं, गांव में बुजुर्ग, दिव्यांग या फिर बीमार लोगों की सबसे पहली पहुंच, उसको कुछ भी कठिनाई होगी तो पहले आपके पास आएगा, इसलिए पहला समाधान भी गांव के पंच और गांव के प्रधान के पास ही होना चाहिए।
हमें ये ध्यान रखना है कि शारीरिक दूरी, दो गज की दूरी,ये मंत्र भूलना नहीं है। गांव-गांव, घर-घर- गली-गली दो गज की दूरी- ये शारीरिक दूरी, साथ-साथ मुंह को फेसकवर, जरूरी नहीं हैं कि बड़े महंगे वो हों, ऐसा गमछा भी चल जाता है, लेकिन ये लगातार होना चाहिए, या मास्क से ढंकना, हाथों की बार-बार साफ-सफाई की बात हो, आने वाले दिनों में भी हमारे लिए इस बीमारी से बचने का यही बड़ा रास्ता है, यही एक दवाई।
हमें बचाव और स्वच्छता पर ज्यादा बल इसलिए भी देना है क्योंकि गर्मी और बरसात के मौसम में अनेक प्रकार की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। और हमारे बारिश के दिन आने की शुरूआत होने वाली है। इस बार कोरोना बीमारी ने इस खतरे के लिए और अधिक चिंता का कारण बना दिया है। इसलिए हमें बहुत सतर्क रहते हुए अपने गांव को बचाना है।
साथियों, हमारा अतीत का अनुभव बताता है कि बीमारियों और उनके इलाज के बारे में गलत जानकारियों की वजह से हमें बीमारियों को रोकने में काफी दिक्कत आती है, काफी समय चला जाता है। इस बार हमें ऐसा नहीं होने देना है। हमें हर प्रकार की गलतफहमी से लोगों को बाहर निकालना है।
हर परिवार तक सही जानकारी- चाहे वो बचाव को लेकर हो या फिर इसके इलाज के लिए, ये जानकारी पहुंचनी ही चाहिए। इसके लिए आप छोटी-छोटी टोलियां बनाकर, और मैंने सुना, कई सरपंचों ने कहा, उन्होंने गांव में छोटी-छोटी टोलियां बना दीं अलग-अलग, काम के लिए लोगों को संगठित कर दिया है, टोलिया बनाकर जागरूकता के अभियान को तेज़ कर सकते हैं। आशा हैं, ANMहैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ हमारे यहां सेल्फ हेल्प ग्रुप हैं, उसकी बहनें हैं, युवा मंडल है,पूर्व सैनिक हैं, दूसरे संगठनों से भी कई लोग आए हैं, धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, ये संगठन भी हैं। हर किसी की मदद लेनी चाहिए। हर किसी को जोड़ना चाहिए।
साथियों, मैं सोशल मीडिया पर देख रहा था, खान-पान को लेकर भी कुछ लोग तरह-तरह की बातें करते हैं। इससे भी तमाम अफवाहें उड़ती हैं, जिससे हमें सतर्क रहना है। हम जो भी खाएं वो खूब धोकर और खूब पकाकर खाएं, इस बात को हमें गांव-गांव में बताना है। और हां, गांव में कई अच्छी परंपराएं भी होती हैं, जिनको हमें और प्रोत्साहित करना है।