Blog Entry# 1728076
Posted: Feb 03 2016 (07:43)
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Last Response: Feb 03 2016 (07:43)
बहुत दुःख की बात है कि पत्रकार जो अब तक अपने ठेकेदार मित्रों से महुआ दारू और मुर्गा कहते आ रहे थे नए ठेकेदार ने बड़ा अन्याय किया उसको ये तो पता होना ही चाहिए की हरामखोर प्राणी कभी मेहनत थोड़े ही करेंगे उनको तो सच्चा झूठा करके ही मुर्गे का इन्तजाम करना है । जब पत्रकार इतना ही होशियार है तो इंजीनियरिंग की पढाई क्यों नहीं की । बेशर्म पत्रकार जी इतनी सी बात तो मामूली आदमी जनता है की जो काम हम एक हजार रुलाये में करवाते हैं रेलवे इतने ही काम के लिए 3.5 हजार से 4 हजार का एस्टिमेट बनती है और पूर्वोत्तर के राज्यों में तो 10 गुना ज्यादा एस्टीमेट होने के बावजूद दशक पर दशक पर होते जाते हैं और काम पूरा होता ही नहीं है, भ्रष्टाचार का रास्ता हर सरकारी काम में होता है लेकिन पत्रकार को महुआ पिलाने से काम की गुणवत्ता बढ़...
more... जाती है क्या ?