Train accident near kamalganj again by 18191
19 घंटे बाद शुरू हुआ कानपुर रेल मार्ग
19 घंटे बाद शुरू हुआ कानपुर रेल मार्ग
संवाद सूत्र, कमालगंज : मालगाड़ी की दो बोगी पटरी से उतरने के कारण शनिवार को रेलवे ट्रैक...
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more... सूत्र, कमालगंज : मालगाड़ी की दो बोगी पटरी से उतरने के कारण शनिवार को रेलवे ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया था। रेलवे ने युद्ध स्तर पर काम शुरू कर 19 घंटे बाद कानपुर रेल मार्ग को शुरू कर दिया। पहले इंजन व मालगाड़ी गुजारकर ट्रैक को चेक किया गया, इसके बाद कॉसन लगाकर 10 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेनों को निकाला गया।
कानपुर फतेहगढ़ रेलवे ट्रैक पर कमालगंज रेलवे स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर गुमटी नंबर 132 सी पर शनिवार सुबह 5.05 बजे मालगाड़ी की दो बोगी उतरने से रेलवे ट्रैक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। घटना की सूचना पर रेलवे अधिकारी तथा दुर्घटना राहत ट्रेन, कई ट्रेनें तथा जेसीबी लगाकर रेलवे ट्रैक से गार्ड यान व बोगी हटाकर उखड़ी रेलवे लाइन दुरुस्त किया गया था। करीब 19 घंटे तक युद्धस्तर पर काम हुआ। रात 11.45 बजे पर रेलवे ट्रैक से इंजन तथा उसके बाद मालगाड़ी गुजार कर चे¨कग की गई। रविवार सुबह 5.47 बजे 10 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से सबसे पहले जयपुर लखनऊ एक्सप्रेस, उसके बाद 6.35 पर फर्रुखाबाद कानपुर पैसेंजर तथा 8.40 पर का¨लदी एक्सप्रेस ट्रेन गुजारी गई। ट्रैक दुरुस्त होने में 15 दिन लगेंगे
कमालगंज रेलवे स्टेशन की गुमटी नंबर 132 सी पर शनिवार को मालगाड़ी की दो बोगियां उतरने से क्षतिग्रस्त रेलवे ट्रैक आनन-फानन में दुरुस्त कर ट्रेनों का आवागमन शुरू करा दिया गया है, लेकिन ट्रेन बमुश्किल से 10 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से कासन पर गुजर रही हैं। ट्रैक पर काम करा रहे रेलवे अधिकारियों की मानें तो आनन-फानन ट्रैक शुरू करवा दिया गया है, लेकिन इसको दुरुस्त करने में करीब 15 दिन का समय लग जाएगा। ऊंची नीची पटरियों का लेवल मिलाने एवं अन्य कार्यों के बाद ही सामान्य गति से ट्रेनें गुजर सकेंगी। तब तक कासन पर ही ट्रेनें गुजारी जाएंगी। धीगी गति से हुआ काम
रेलवे ट्रैक दुरुस्त करने को दूसरे दिन हाइड्रा मशीन की व्यवस्था न हो पाने के कारण धीमी गति से कार्य हुआ। कार्य कर रहे कर्मचारियों के अनुसार शनिवार को करीब 260 स्लीपर आए थे। जिन्हें हाइड्रा मशीन से लगाया गया था। स्लीपर कम पड़ने पर कुछ लोहे के स्लीपर लगाए गए थे। रविवार को करीब ढाई सौ स्लीपर और मंगाए गए हैं। हाइड्रा की व्यवस्था न हो पाने के कारण मैन पावर से ही काम कर रहे है